Find great collection of Munawwar Rana Shayari. Here you will come up to novel and best shayari of Munawwar Rana existing on the online network.
These shayari is in hindi. So trace
here a number of and most excellent and specially preferred collection of Munawwar
Rana Shayari for every category of Shayari in hindi .
Munawwar Rana Sahab |
Munawwar Rana Shayari on attitude
मेरी नेकियाँ गिनने की नौबत ही नहीं आएंगी,
मैंने जो माँ पे लिखा है वही काफ़ी होगा...
ग़ज़ल और शायरी की सल्तनत पर आज भी क़ब्ज़ा हमारा है
इसलिए तो हम अपने नाम के आगे अभी राना लगाते हैं....
ख़ुद अपने आपको शादाब करना चाहता है,
ये कलम का फ़क़ीर आपको आदाब करना चाहता है !
Munawwar Rana Shayari in urdu for roamantic love
एक हालत पर न रहने पायी दिल की हसरते,
तुमने जब देखा नए अंदाज से देखा मुझे.
यह तो ठीक है तेरी जफ़ा भी है एक अता मेरे वास्ते,
मेरी दुआओं की कसम तुझे, कभी मुस्कुरा के भी देख ले.
Munawwar Rana Shayari in Two line shayari and urdu shayri
हाय वो दौरे ज़िन्दगी, जिसका लक़ब शबाब था,
कैसी लतीफ़ नींद थी, कैसा हसीं ख़्वाब था.....
उसकी रफ़्तार है बस मोजा-इ-कोसर की तरह,
गुफ्तगू में है कनक शीशा-ओह-सागर की तरह.....
ख़ुद अपने आपको शादाब करना चाहता है,
ये कलम का फ़क़ीर आपको आदाब करना चाहता है !
Munawwar Rana Shayari in urdu for roamantic love
एक हालत पर न रहने पायी दिल की हसरते,
तुमने जब देखा नए अंदाज से देखा मुझे.
यह तो ठीक है तेरी जफ़ा भी है एक अता मेरे वास्ते,
मेरी दुआओं की कसम तुझे, कभी मुस्कुरा के भी देख ले.
Munawwar Rana Shayari in Two line shayari and urdu shayri
हाय वो दौरे ज़िन्दगी, जिसका लक़ब शबाब था,
कैसी लतीफ़ नींद थी, कैसा हसीं ख़्वाब था.....
उसकी रफ़्तार है बस मोजा-इ-कोसर की तरह,
गुफ्तगू में है कनक शीशा-ओह-सागर की तरह.....
Munawwar Rana Shayari for whatsapp status in hindi
सारे हवा में घोल दी है नफरतें और हवास अहल ए सियासत ने
मगर न जाने क्यों पानी कुँए का आज तक मीठा निकलता है..
ये जो कलम दवात लिये कंधों पे फिरा करते हैं,
सारे हवा में घोल दी है नफरतें और हवास अहल ए सियासत ने
मगर न जाने क्यों पानी कुँए का आज तक मीठा निकलता है..
ये जो कलम दवात लिये कंधों पे फिरा करते हैं,
मर भी जाएं तो भी शायर नही होने वाले..!
Latest and short Munawwar Rana Shayari
गाँव की कच्ची मिटटी का समझ के बेच न देना इस घर को
शायद ये कभी सर और अबरुर को छुपाने के काम आए .....
इन गाव की घोर अँधेरी रात में अक्सर सुनहरी मशालें लेकर
मासूम परिन्दों की मुसीबत का पता ये जुगनू लगाते हैं.....
Read more collection of
Shayari sad
Allama iqbal shayari
Latest and short Munawwar Rana Shayari
गाँव की कच्ची मिटटी का समझ के बेच न देना इस घर को
शायद ये कभी सर और अबरुर को छुपाने के काम आए .....
इन गाव की घोर अँधेरी रात में अक्सर सुनहरी मशालें लेकर
मासूम परिन्दों की मुसीबत का पता ये जुगनू लगाते हैं.....
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